श्रीसूक्त लक्ष्मीपूजन - आरती तथा समर्पण

दीपावली के पाँचो दिन की जानेवाली साधनाएँ तथा पूजाविधि कम प्रयास में अधिक फल देने वाली होती होती है और प्रयोगों मे अभूतपूर्व सफलता प्राप्त होती है ।


अब घर के सभी लोग एकत्र होकर मॉं लक्ष्मी की आरती करें । आरती के लिए एक थाली में रोली से स्वस्तिक बनाए । उस पर कुछ अक्षत और पुष्प डालकर गौघृत का चतुर्मुख दीपक स्थापित करें और मॉं लक्ष्मी की शंख , घंटी , डमरु आदि के साथ आरती करें । दीपक के पश्चात क्रमशः कर्पूर , धूप , जलशंख एवं वस्त्र की सहायता से आरती करें ।

जय लक्ष्मी माता , ( मैया ) जय लक्ष्मी माता ।

तुमको निशिदिन सेवत हर विष्णु धाता ॥ ॐ ॥

उमा रमा ब्रह्माणी , तुम ही जग माता ।

सूर्य चन्द्रमा ध्यावत , नारद ऋषि गाता ॥ ॐ ॥

दुर्गा रुप निरंजिनि , सुख सम्पति दाता ।

जो कोई तुमको ध्यावत , ऋधि सिधि धन पाता ॥ ॐ ॥

तुम पाताल निवासिनी , तुम ही शुभदाता ।

कर्म प्रभाव प्रकाशिनी , भवनिधि की त्राता ॥ ॐ ॥

जिस घर तुम रहती तह सब सदुण आता ।

सब सम्भव हो जाता , मन नहिं घबराता ॥ ॐ ॥

तुम बिन यज्ञ न होते , वस्त्र न हो पाता ।

खान पान का वैभव सब तुमसे आता ॥ ॐ ॥

शुभ गुण मन्दिर सुन्दर क्षीरोदधि जाता ।

रत्न चतुर्दश तुम बिन कोई नहीं पाता ॥ ॐ ॥

महालक्ष्मी जी की आरती , जो कोई नर गाता ।

उर आनन्द समाता , पाप उतर जाता ॥ ॐ ॥

समर्पण : निम्नलिखित का उच्चारण करते हुए महालक्ष्मी के समक्ष पूजन कर्म को समर्पित करें और इस निमित्त जल अर्पित करें : कृतेनानेन पूजनेन भगवती महालक्ष्मीदेवी प्रीयताम न मम ॥

अब मॉं लक्ष्मी के समक्ष दण्डवत प्रणाम करें तथा अनजानें में हुई त्रुटियों के लिए क्षमा मॉंगते हुए , देवी से सुख -समृद्धि , आरोग्य तथा वैभव की कामना करें ।

दीपावली पर सरस्वती पूजन करने का भी विधान है । इसके लिए लक्ष्मी पूजन करने के पश्चात निम्नलिखित मन्त्रों से मॉं सरस्वती का भी पूजन करना चाहिए । सर्वप्रथम निम्नलिखित मन्त्र से मॉं सरस्वती का ध्यान करें :

या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता ,

या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना ।

या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता ,

सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा ॥

हाथ में लिए हुए अक्षतों को मॉं सरस्वती के चित्र के समक्ष चढा दें ।

अब मॉं सरस्वती का पूजन निम्नलिखित प्रकार से करें :

तीन बार जल के छींटे दें और बोलें : पाद्यं , अर्घ्यं , आचमनीयं ।

सर्वाडेस्नानं समर्पयामि । मॉं सरस्वती पर जल के छींटे दें ।

सर्वाडें पंचामृत स्नानं समर्पयामि । मॉं सरस्वती को पंचामृत से स्नान कराए ।

पंचामृतस्नानान्ते शुद्धोदक स्नानं समर्पयामि । शुद्ध जल से स्नान कराए ।

सुवासितम इत्रं समर्पयामि । मॉं सरस्वती पर इत्र चढाए ।

वस्त्रं समर्पयामि । मॉं सरस्वती पर मौली चढाए ।

आभूषणं समर्पयामि । मॉं सरस्वती पर आभूषण चढाए ।

गन्धं समर्पयामि । मॉं सरस्वती पर रोली अथवा लाल चन्दन चढाए ।

अक्षतान समर्पयामि । मॉं सरस्वती पर चावल चढाए ।

कुंकुमं समर्पयामि । मॉं सरस्वती पर कुंकुम चढाए ।

धूपम आघ्रापयामि । मॉं सरस्वती पर धूप करें ।

दीपकं दर्शयामि । मॉं सरस्वती को दीपक दिखाए ।

नैवेद्यं निवेदयामि । मॉं सरस्वती को प्रसाद चढाए ।

दीपावली पर सरस्वती पूजन

आचमनं समर्पयामि । मॉं सरस्वती पर जल के छींटे दें ।

ताम्बूलं समर्पयामि । मॉं सरस्वती पर पान , सुपारी , इलायची आदि चढाए ।

ऋतुफलं समर्पयामि । मॉं सरस्वती पर ऋतुफल चढाए ।

दक्षिणां समर्पयामि । मॉं सरस्वती की कर्पूर जलाकर आरती करें ।

नमस्कारं समर्पयामि । मॉं सरस्वती को नमस्कार करें ।

सरस्वती महाभागे देवि कमललोचने ।

विद्यारुपे विशालाक्षि विद्यां देहि नमोऽस्तुते ।

दीपावली पर कुबेर पूजन

दीपावली एवं धनत्रयोदशी पर महालक्ष्मी के पूजन के साथ -साथ धनाध्यक्ष कुबेर का पूजन भी किया जाता है । इनके पूजन से घर में स्थायी सम्पत्ति में वृद्धि होती है और धन का अभाव दूर होता है । इनका पूजन इस प्रकार करें ।

सर्वप्रथम निम्नलिखित मन्त्र के साथ इनका आवाहन करें :

आवाहयामि देव त्वामिहायामि कृपां कुरु ।

कोशं वर्द्धय नित्यं त्वं परिरक्ष सुरेश्वर ॥

अब हाथ में अक्षत लेकर निम्नलिखित मंत्र से कुबेरजी का ध्यान करें :

मनुजवाह्यविमानवरस्थितं ,

गरुडरत्ननिभं निधिनायकम ।

शिवसखं मुकुटादिविभूषितं ,

वरगदे दधतं भज तुन्दिलम ॥

हाथ में लिए हुए अक्षतों को कुबेरयंत्र , चित्र या विग्रह के समक्ष चढा दें ।

अब कुबेर यंत्र , चित्र या विग्रह का पूजन निम्नलिखित प्रकार से करें :

तीन बार जल के छींटे दें और बोलें : पाद्यं , अर्घ्य , आचमनीयं समर्पयामि ।

ॐ वैश्रवणाय नमः , स्नानार्थें जलं समर्पयामि । कुबेर यंत्र , चित्र या विग्रह पर जल के छींटे दें ।

ॐ वैश्रवणाय नमः , पंचामृतस्नानार्थे पंचामृतं समर्पयामि । कुबेर यंत्र , चित्र या विग्रह को पंचामृत स्नान कराए ।

ॐ वैश्रवणाय नमः , सुवासितम इत्रं समर्पयामि । कुबेर यंत्र , चित्र या विग्रह पर इत्र चढाए ।

ॐ वैश्रवणाय नमः , वस्त्रं समर्पयामि । कुबेर यंत्र , चित्र या विग्रह पर मौली चढाए ।

ॐ वैश्रवणाय नमः , गन्धं समर्पयामि । कुबेर यंत्र , चित्र या विग्रह पर रोली अथवा लाल चन्दन चढाए ।

ॐ वैश्रवणाय नमः , अक्षतान समर्पयामि । कुबेर यंत्र , चित्र या विग्रह पर चावल चढाए ।

ॐ वैश्रवणाय नमः , पुष्पं समर्पयामि । कुबेर यंत्र , चित्र या विग्रह पर पुष्प चढाए ।

ॐ वैश्रवणाय नमः , धूपम आघ्रापयामि । कुबेर यंत्र , चित्र या विग्रह पर धूप करें ।

ॐ वैश्रवणाय नमः , दीपकं दर्शयामि । कुबेर यंत्र , चित्र या विग्रह को दीपक दिखाए ।

ॐ वैश्रवणाय नमः , नैवेद्यं समर्पयामि । कुबेर यंत्र , चित्र या विग्रह पर प्रसाद चढाए ।

आचमनं समर्पयामि । कुबेर यंत्र , चित्र या विग्रह पर जल के छींटे दें ।

ॐ वैश्रवणाय नमः , ऋतुफलं समर्पयामि । कुबेर यंत्र , चित्र या विग्रह पर ऋतुफल चढाए ।

ॐ वैश्रवणाय नमः , ताम्बूलं समर्पयामि । कुबेर यंत्र , चित्र या विग्रह पर पान , सुपारी , इलायची आदि चढाए ।

ॐ वैश्रवणाय नमः , दक्षिणां समर्पयामि । कुबेर यंत्र , चित्र या विग्रह पर नकदी चढाए ।

ॐ वैश्रवणाय नमः , कर्पूरनीराजनं समर्पयामि । कर्पूर जलाकर आरती करें ।

ॐ वैश्रवणाय नमः , नमस्कारं समर्पयामि । नमस्कार करें ।

अंत में इस मंत्र से हाथ जोडकर प्रार्थना करें :

धनदाय नमस्तुभ्यं निधिपद्माधिपाय च ।

भगवन त्वत्प्रसादेन धनधान्यादिसम्पदः ॥

कुबेर पूजन के साथ यदि तिजोरी की भी पूजा की जाए , तो साधक को दोगुना लाभ मिलता है ।

व्यापारीवर्ग के लिए दीपावली का दिन बही -खाता , तुला आदि के पूजन का दिवस भी होता है । सर्वप्रथम व्यापारिक प्रतिष्ठान के मुख्यद्वार के दोनों ओर दीवार पर ‘ शुभ -लाभ ’ और ‘ स्वस्तिक ’ एवं ‘ ॐ ’ सिन्दूर से अंकित करें । तदुपरान्त इन शुभ चिह्नों की रोली , पुष्प आदि से ‘ ॐ ’ देहलीविनायकाय नमः ’ कहते हुए पूजन करें । अब क्रमशः दवात , बहीखाता , तुला आदि का पूजन करना चाहिए ।

दवात पूजन : दवात को महाकाली का रुप माना गया है । सर्वप्रथम नई स्याहीयुक्त दवात को शुद्ध जल के छींटे देकर पवित्र कर लें , तदुपरान्त उसके मुख पर मौली बॉंध दे । दवात को चौकी पर थोडे से पुष्प और अक्षत डालकर स्थापित कर दें । दवात का रोली -पुष्प आदि से महाकाली के मन्त्र ‘ ॐ श्रीमहाकाल्यै नमः ’ के साथ पूजन करें । अन्त में इस प्रकार प्रार्थना करें :

कालिके ! त्वं जगन्मातर्मसिरुपेण वर्तसे ।

उत्पन्ना त्वं च लोकानां व्यवहारप्रसिद्धये ॥

लेखनी का पूजन : दीपावली के दिन नयी लेखनी अथवा पेन को शुद्ध जल से धोकर तथा उस पर मौली बॉंधकर लक्ष्मीपूजन की चौकी पर कुछ अक्षत एवं पुष्प डालकर स्थापित कर देना चाहिए । तदुपरान्त रोली पुष्प आदि से ‘ ॐ लेखनीस्थायै देव्यै नमः ’ मन्त्र बोलते हुए पूजन करें । तदुपरान्त निम्नलिखित मन्त्र से हाथ जोडकर प्रार्थना करें :

शास्त्राणां व्यवहाराणां विद्यानामाप्नुयाद्यतः ।

अतस्त्वां पूजयिष्यामि मम हस्ते स्थिरा भव ।

दीपावली पर

बहीखाता -तुला पूजन

दीपावली के दिन व्यापारी वर्ग नए बहीखातों का शुभारम्भ करते हैं । नए बहीखाते लेकर उन्हें शुद्ध जल के छींटे देकर पवित्र कर लें । तदुपरान्त उन्हें लाल वस्त्र बिछाकर तथा उस पर अक्षत एवं पुष्प डालकर स्थापित करें । तदुपरान्त प्रथम पृष्ठ पर स्वस्तिक का चिह्न चंदन अथवा रोली से बनाए ।

अब बहीखाते का रोली , पुष्प आदि से ‘ ॐ श्रीसरस्वत्यै नमः ’ मन्त्र की सहायता से पूजन करें ।

तुला का पूजन : सर्वप्रथम तुला को शुद्ध कर लेना चाहिए । तदुपरान्त उस पर रोली से स्वस्तिक का चिह्न बनाए । तुला पर मौली आदि बॉंध दें तथा ‘ ॐ तुलाधिष्ठातृदेवतायै नमः ’ कहते हुए रोली , पुष्प आदि से तुला का पूजन करें ।

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Last Updated : November 03, 2010

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