-
सूर्यकांत त्रिपाठी ’निराला’ - बादल राग ६
सूर्यकांत त्रिपाठी की रचनाये मनको छू लेती है।
Type: PAGE | Rank: 4.443652 | Lang: NA
-
सूर्यकांत त्रिपाठी ’निराला’
सूर्यकांत त्रिपाठी की रचनाये मनको छू लेती है।
Type: INDEX | Rank: 4.443652 | Lang: NA
-
सूर्यकांत त्रिपाठी ’निराला’ - बादल राग २
सूर्यकांत त्रिपाठी की रचनाये मनको छू लेती है।
Type: PAGE | Rank: 4.443652 | Lang: NA
-
सूर्यकांत त्रिपाठी ’निराला’ - बादल राग ३
सूर्यकांत त्रिपाठी की रचनाये मनको छू लेती है।
Type: PAGE | Rank: 4.443652 | Lang: NA
-
सूर्यकांत त्रिपाठी ’निराला’ - बादल राग १
सूर्यकांत त्रिपाठी की रचनाये मनको छू लेती है।
Type: PAGE | Rank: 4.443652 | Lang: NA
-
सूर्यकांत त्रिपाठी ’निराला’ - मित्र के प्रति
सूर्यकांत त्रिपाठी की रचनाये मनको छू लेती है।
Type: PAGE | Rank: 4.443652 | Lang: NA
-
सूर्यकांत त्रिपाठी ’निराला’ - बादल राग ५
सूर्यकांत त्रिपाठी की रचनाये मनको छू लेती है।
Type: PAGE | Rank: 4.443652 | Lang: NA
-
सूर्यकांत त्रिपाठी ’निराला’ - प्रेयसी
सूर्यकांत त्रिपाठी की रचनाये मनको छू लेती है।
Type: PAGE | Rank: 4.443652 | Lang: NA
-
सूर्यकांत त्रिपाठी ’निराला’ - बादल राग ४
सूर्यकांत त्रिपाठी की रचनाये मनको छू लेती है।
Type: PAGE | Rank: 4.443652 | Lang: NA
-
श्री नैना देवी - तेरा अद्भुत रूप निराला, आ...
आरती हिन्दू उपासना की एक विधि है Aarti, ãrti, arathi, or ãrati is a Hindu ritual
Type: PAGE | Rank: 2.874422 | Lang: NA
-
सूर्यकांत त्रिपाठी - परिचय
सूर्यकांत त्रिपाठी की रचनाये मनको छू लेती है।
Type: PAGE | Rank: 1.708242 | Lang: NA
-
निराला
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 1.414042 | Lang: NA
-
परिमल
सूर्यकांत त्रिपाठी की रचनाये मनको छू लेती है।
Type: INDEX | Rank: 0.8077836 | Lang: NA
-
matchless
Meanings: 5; in Dictionaries: 3
Type: WORD | Rank: 0.1615567 | Lang: NA
-
nonpareil
Meanings: 2; in Dictionaries: 2
Type: WORD | Rank: 0.1615567 | Lang: NA
-
one and only
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.1615567 | Lang: NA
-
peerless
Meanings: 2; in Dictionaries: 2
Type: WORD | Rank: 0.1615567 | Lang: NA
-
unmatchable
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.1615567 | Lang: NA
-
unmatched
Meanings: 2; in Dictionaries: 2
Type: WORD | Rank: 0.1615567 | Lang: NA
-
unrivaled
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.1615567 | Lang: NA
-
unrivalled
Meanings: 3; in Dictionaries: 3
Type: WORD | Rank: 0.1615567 | Lang: NA
-
one
Meanings: 15; in Dictionaries: 4
Type: WORD | Rank: 0.1413621 | Lang: NA
-
सायखʼजानाय
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.07413983 | Lang: NA
-
सतंत
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.05560488 | Lang: NA
-
अनामिका
Meanings: 15; in Dictionaries: 11
Type: WORD | Rank: 0.03276549 | Lang: NA
-
शिवचरित्र - लेख ९६
छत्रपति शिवाजी महाराज एक भारतीय शासक आणि मराठा साम्राज्याचे संस्थापक
Type: PAGE | Rank: 0.03243618 | Lang: NA
-
बोधकथा - कवीचा मोठेपणा
जीवनातील प्रत्येक सुख दुःखाच्या प्रसंगी कसे आचरण असावे याची जाणीव करून देणार्या कथा.
Type: PAGE | Rank: 0.0231687 | Lang: NA
-
धर्मसिंधु - संस्कार्याचा पिता मृत असल्यास
हिंदूंचे ऐहिक, धार्मिक, नैतिक अशा विषयात नियंत्रण करावे आणि त्यांना इह-परलोकी सुखाची प्राप्ती व्हावी ह्याच अत्यंत उदात्त हेतूने प्रेरित होउन श्री. काशीनाथशास्त्री उपाध्याय यांनी ’धर्मसिंधु’ हा ग्रंथ रचला आहे. This 'Dharmasindhu' grantha was written by Pt. Kashinathashastree Upadhyay, in the year 1790-91.
Type: PAGE | Rank: 0.01853496 | Lang: NA
-
नाम महिमा - सीताराम सीताराम सीताराम ब...
भगवन्नामकी महिमा अपरंपार है, नामोच्चारसे जीवनके पाप नष्ट हो जाते है ।
Type: PAGE | Rank: 0.01853496 | Lang: NA
-
संतत
Meanings: 19; in Dictionaries: 7
Type: WORD | Rank: 0.01853496 | Lang: NA
-
अखंडध्याननाम - ॥ समास पांचवां - हरिकथालक्षणनिश्चयनाम ॥
‘संसार-प्रपंच-परमार्थ’ का अचूक एवं यथार्थ मार्गदर्शन इस में है ।
Type: PAGE | Rank: 0.01638274 | Lang: NA
-
विनय पत्रिका - विनयावली ९१
विनय पत्रिकामे , भगवान् श्रीराम के अनन्य भक्त तुलसीदास भगवान् की भक्तवत्सलता व दयालुता का दर्शन करा रहे हैं।
Type: PAGE | Rank: 0.01621809 | Lang: NA
-
पूर्णदशक - ॥ समास पांचवां - चत्वारजिनसनाम ॥
इस ग्रंथके पठनसे ‘‘उपासना का श्रेष्ठ आश्रय’ लाखों लोगों को प्राप्त हुआ है ।
Type: PAGE | Rank: 0.01390122 | Lang: NA
-
देवशोधन नाम - ॥ समास चौथा - ब्रह्मनिरूपणनाम ॥
श्रीसमर्थ ने ऐसा यह अद्वितीय-अमूल्य ग्रंथ लिखकर अखिल मानव जाति के लिये संदेश दिया है ।
Type: PAGE | Rank: 0.01390122 | Lang: NA
-
अखंडध्याननाम - ॥ समास तीसरा - कवित्वकलानिरूपणनाम ॥
‘संसार-प्रपंच-परमार्थ’ का अचूक एवं यथार्थ मार्गदर्शन इस में है ।
Type: PAGE | Rank: 0.01310619 | Lang: NA
-
जगज्जोतिनाम - ॥ समास सातवां - सगुणभजननिरूपणनाम ॥
श्रीसमर्थ ने इस सम्पूर्ण ग्रंथ की रचना एवं शैली मुख्यत: श्रवण के ठोस नींव पर की है ।
Type: PAGE | Rank: 0.01158435 | Lang: NA
-
मंत्रों का नाम - ॥ समास चौथा - उपदेशनाम ॥
‘संसार-प्रपंच-परमार्थ’ का अचूक एवं यथार्थ मार्गदर्शन इस में है ।
Type: PAGE | Rank: 0.01158435 | Lang: NA
-
विनय पत्रिका - श्री विन्दुमाधव स्तुति
विनय पत्रिकामे, भगवान् श्रीराम के अनन्य भक्त तुलसीदास भगवान् की भक्तवत्सलता व दयालुता का दर्शन करा रहे हैं।
Type: PAGE | Rank: 0.01158435 | Lang: NA
-
पूर्णदशक - ॥ समास आठवां - देहक्षेत्रनिरूपणनाम ॥
इस ग्रंथके पठनसे ‘‘उपासना का श्रेष्ठ आश्रय’ लाखों लोगों को प्राप्त हुआ है ।
Type: PAGE | Rank: 0.01158435 | Lang: NA
-
जगज्जोतिनाम - ॥ समास दसवां - चलाचलनिरूपणनान ॥
श्रीसमर्थ ने इस सम्पूर्ण ग्रंथ की रचना एवं शैली मुख्यत: श्रवण के ठोस नींव पर की है ।
Type: PAGE | Rank: 0.009267479 | Lang: NA
-
बहुजिनसी - ॥ समास चौथा - देहदुर्लभनिरूपणनाम ॥
‘स्वधर्म’ याने मानवधर्म! जिस धर्म के कारण रिश्तों पहचान होकर मनुष्य आचरन करना सीखे ।
Type: PAGE | Rank: 0.009267479 | Lang: NA
-
चतुर्दश ब्रह्म नाम - ॥ समास दूसरा - ब्रह्मनिरूपणनाम ॥
श्रीसमर्थ ने ऐसा यह अद्वितीय-अमूल्य ग्रंथ लिखकर अखिल मानव जाति के लिये संदेश दिया है ।
Type: PAGE | Rank: 0.009267479 | Lang: NA
-
दोहावली - भाग १०
कबीर सन्त कवि आणि समाज सुधारक होते. कबीरदास भारतातील भक्ति काव्य परंपरेतील एक महानतम कवि होत.
Type: PAGE | Rank: 0.009267479 | Lang: NA
-
ज्ञानदशक मायोद्भवनाम - ॥ समास पहला - देवदर्शननाम ॥
३५० वर्ष पूर्व मानव की अत्यंत हीन दीन अवस्था देख, उससे उसकी मुक्तता हो इस उदार हेतु से श्रीसमर्थ ने मानव को शिक्षा दी ।
Type: PAGE | Rank: 0.009267479 | Lang: NA
-
अध्याय ३४
संतकवी महीपतीबोवा ताहराबादकर विरचित
Type: PAGE | Rank: 0.009267479 | Lang: NA
-
चतुर्दश ब्रह्म नाम - ॥ समास दसवां - देहांतनिरूपणनाम ॥
श्रीसमर्थ ने ऐसा यह अद्वितीय-अमूल्य ग्रंथ लिखकर अखिल मानव जाति के लिये संदेश दिया है ।
Type: PAGE | Rank: 0.009267479 | Lang: NA
-
गुणरूपनाम - ॥ समास सातवां - विकल्पनिरसननाम ॥
श्रीसमर्थ ने इस सम्पूर्ण ग्रंथ की रचना एवं शैली मुख्यत: श्रवण के ठोस नींव पर की है ।
Type: PAGE | Rank: 0.009267479 | Lang: NA
-
ज्ञानदशक मायोद्भवनाम - ॥ समास पहला - देवदर्शननाम ॥
इस ग्रंथ के श्रवण से ही ‘श्रीमत’ और ‘लोकमत’ की पहचान मनुष्य को होगी ।
Type: PAGE | Rank: 0.009267479 | Lang: NA
-
लय
Meanings: 100; in Dictionaries: 14
Type: WORD | Rank: 0.009267479 | Lang: NA
-
ज्ञानदशक मायोद्भवनाम - ॥ समास दसवां - शून्यत्वनिरसननाम ।!
३५० वर्ष पूर्व मानव की अत्यंत हीन दीन अवस्था देख, उससे उसकी मुक्तता हो इस उदार हेतु से श्रीसमर्थ ने मानव को शिक्षा दी ।
Type: PAGE | Rank: 0.008109044 | Lang: NA