-
hindi charitra kosha
"Hindi - Charitra Kosha" is one of the very niche project where we have uploaded all the Characters from Puran and Ved in the form of dictionary. Each character / person from Hindu History is also added with references to the Texts that illustrated. See all entries in Hindi Charitra Kosha here.
Type: INDEX | Rank: 3.867601 | Lang: NA
-
hindi
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 1.756508 | Lang: NA
-
hindi assistant
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 1.756508 | Lang: NA
-
hindi/english typist
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 1.756508 | Lang: NA
-
hindi translator
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 1.756508 | Lang: NA
-
part time hindi teacher
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 1.756508 | Lang: NA
-
arrangement may be made to translate the .... into hindi
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 1.756508 | Lang: NA
-
फाल्यांcannot be a noun even in hindi
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 1.756508 | Lang: NA
-
प्रासंगिक कविता - प्रसंग १
समर्थ,hindi,pad,ramdas,samarth,पद,रामदास,हिन्दी
Type: PAGE | Rank: 1.681076 | Lang: NA
-
हिंदुस्थानीं पदें - पदे २१ ते २५
वेदान्तशास्त्र हे नुसते बुध्दिगम्य व वाक्चातुर्यदर्शक शास्त्र नसून प्रत्यक्ष अनुभवगम्य शास्त्र आहे हे या ग्रन्थातून स्पष्ट होते.
Type: PAGE | Rank: 0.7077696 | Lang: NA
-
हिंदुस्थानीं पदें - पदे ३१ ते ३५
वेदान्तशास्त्र हे नुसते बुध्दिगम्य व वाक्चातुर्यदर्शक शास्त्र नसून प्रत्यक्ष अनुभवगम्य शास्त्र आहे हे या ग्रन्थातून स्पष्ट होते.
Type: PAGE | Rank: 0.7077696 | Lang: NA
-
निरंजनकृत हिंदुस्थानीं पदें
वेदान्तशास्त्र हे नुसते बुध्दिगम्य व वाक्चातुर्यदर्शक शास्त्र नसून प्रत्यक्ष अनुभवगम्य शास्त्र आहे हे या ग्रन्थातून स्पष्ट होते.
Type: INDEX | Rank: 0.7077696 | Lang: NA
-
हिंदुस्थानीं पदें - पदे २६ ते ३०
वेदान्तशास्त्र हे नुसते बुध्दिगम्य व वाक्चातुर्यदर्शक शास्त्र नसून प्रत्यक्ष अनुभवगम्य शास्त्र आहे हे या ग्रन्थातून स्पष्ट होते.
Type: PAGE | Rank: 0.7077696 | Lang: NA
-
हिंदुस्थानीं पदें - पदे ११ ते १५
वेदान्तशास्त्र हे नुसते बुध्दिगम्य व वाक्चातुर्यदर्शक शास्त्र नसून प्रत्यक्ष अनुभवगम्य शास्त्र आहे हे या ग्रन्थातून स्पष्ट होते.
Type: PAGE | Rank: 0.7077696 | Lang: NA
-
हिंदुस्थानीं पदें - पदे १ ते ५
वेदान्तशास्त्र हे नुसते बुध्दिगम्य व वाक्चातुर्यदर्शक शास्त्र नसून प्रत्यक्ष अनुभवगम्य शास्त्र आहे हे या ग्रन्थातून स्पष्ट होते.
Type: PAGE | Rank: 0.7077696 | Lang: NA
-
हिंदुस्थानीं पदें - पदे ३६ ते ४०
वेदान्तशास्त्र हे नुसते बुध्दिगम्य व वाक्चातुर्यदर्शक शास्त्र नसून प्रत्यक्ष अनुभवगम्य शास्त्र आहे हे या ग्रन्थातून स्पष्ट होते.
Type: PAGE | Rank: 0.7077696 | Lang: NA
-
हिंदुस्थानीं पदें - पदे ४१ ते ४५
वेदान्तशास्त्र हे नुसते बुध्दिगम्य व वाक्चातुर्यदर्शक शास्त्र नसून प्रत्यक्ष अनुभवगम्य शास्त्र आहे हे या ग्रन्थातून स्पष्ट होते.
Type: PAGE | Rank: 0.7077696 | Lang: NA
-
हिंदुस्थानीं पदें - पदे ६ ते १०
वेदान्तशास्त्र हे नुसते बुध्दिगम्य व वाक्चातुर्यदर्शक शास्त्र नसून प्रत्यक्ष अनुभवगम्य शास्त्र आहे हे या ग्रन्थातून स्पष्ट होते.
Type: PAGE | Rank: 0.7077696 | Lang: NA
-
हिंदुस्थानीं पदें - पदे ४६ ते ५०
वेदान्तशास्त्र हे नुसते बुध्दिगम्य व वाक्चातुर्यदर्शक शास्त्र नसून प्रत्यक्ष अनुभवगम्य शास्त्र आहे हे या ग्रन्थातून स्पष्ट होते.
Type: PAGE | Rank: 0.7077696 | Lang: NA
-
हिंदुस्थानीं पदें - पदे १६ ते २०
वेदान्तशास्त्र हे नुसते बुध्दिगम्य व वाक्चातुर्यदर्शक शास्त्र नसून प्रत्यक्ष अनुभवगम्य शास्त्र आहे हे या ग्रन्थातून स्पष्ट होते.
Type: PAGE | Rank: 0.7077696 | Lang: NA
-
देवशोधन नाम - ॥ समास आठवां - दृश्यनिरसननाम ॥
श्रीसमर्थ ने ऐसा यह अद्वितीय-अमूल्य ग्रंथ लिखकर अखिल मानव जाति के लिये संदेश दिया है ।
Type: PAGE | Rank: 0.589808 | Lang: NA
-
रामदासकृत हिन्दी मनके श्लोक
'ऐसी इसकी फलश्रुति' डॉ. श्री. नारायण विष्णु धर्माधिकारी कृत.
Type: INDEX | Rank: 0.589808 | Lang: NA
-
शिकवणनाम - ॥ समास पांचवां - देहमान्यनिरूपणनाम ॥
परमलाभ प्राप्त करने के लिए स्वदेव का अर्थात अन्तरस्थित आत्माराम का अधिष्ठान चाहिये!
Type: PAGE | Rank: 0.589808 | Lang: NA
-
भीमदशक - ॥ समास तीसरा - सिकवणनिरूपणनामः ॥
३५० वर्ष पूर्व मानव की अत्यंत हीन दीन अवस्था देख, उससे उसकी मुक्तता हो इस उदार हेतु से श्रीसमर्थ ने मानव को शिक्षा दी ।
Type: PAGE | Rank: 0.589808 | Lang: NA
-
जगज्जोतिनाम - ॥ समास दसवां - चलाचलनिरूपणनान ॥
श्रीसमर्थ ने इस सम्पूर्ण ग्रंथ की रचना एवं शैली मुख्यत: श्रवण के ठोस नींव पर की है ।
Type: PAGE | Rank: 0.589808 | Lang: NA
-
विवेकवैराग्यनाम - ॥ समास चौथा - विवेकवैराग्यनाम ॥
इस ग्रंथमें प्रत्येक छंद ‘मुख्य आत्मनुभूति से’ एवं सभी ग्रंथों की सम्मति लेकर लिखा है ।
Type: PAGE | Rank: 0.589808 | Lang: NA
-
स्तवणनाम - अनुक्रमणिका
'ऐसी इसकी फलश्रुति' डॉ. श्री. नारायण विष्णु धर्माधिकारी कृत.
Type: PAGE | Rank: 0.589808 | Lang: NA
-
ज्ञानदशक मायोद्भवनाम - ॥ समास तीसरा - सूक्ष्मआशंकानाम ॥
३५० वर्ष पूर्व मानव की अत्यंत हीन दीन अवस्था देख, उससे उसकी मुक्तता हो इस उदार हेतु से श्रीसमर्थ ने मानव को शिक्षा दी ।
Type: PAGE | Rank: 0.589808 | Lang: NA
-
देवशोधन नाम - ॥ समास सातवां - सगुणभजननाम ॥
श्रीसमर्थ ने ऐसा यह अद्वितीय-अमूल्य ग्रंथ लिखकर अखिल मानव जाति के लिये संदेश दिया है ।
Type: PAGE | Rank: 0.589808 | Lang: NA
-
सगुणपरीक्षा - ॥ समास दसवां - बैराग्यनिरूपणनाम ॥
श्रीमत्दासबोध के प्रत्येक छंद को श्रीसमर्थ ने श्रीमत्से लिखी है ।
Type: PAGE | Rank: 0.589808 | Lang: NA
-
नामरूप - ॥ समास चौथा - प्रलयनाम ॥
इस ग्रंथराज के गर्भ में अनेक आध्यात्मिक ग्रंथों के अंतर्गत सर्वांगीण निरूपण समाया हुआ है ।
Type: PAGE | Rank: 0.589808 | Lang: NA
-
देवशोधन नाम - ॥ समास तीसरा - मायोद्भवनाम ॥
श्रीसमर्थ ने ऐसा यह अद्वितीय-अमूल्य ग्रंथ लिखकर अखिल मानव जाति के लिये संदेश दिया है ।
Type: PAGE | Rank: 0.589808 | Lang: NA
-
स्तवणनाम - ॥ समास पांचवा संतस्तवननाम ॥
इस ग्रंथ के श्रवण से ही ‘श्रीमत’ और ‘लोकमत’ की पहचान मनुष्य को होगी.
Type: PAGE | Rank: 0.589808 | Lang: NA
-
दशक तिसरा - स्वगुणपरीक्षा
'ऐसी इसकी फलश्रुति' डॉ. श्री. नारायण विष्णु धर्माधिकारी कृत.
Type: INDEX | Rank: 0.589808 | Lang: NA
-
गुणरूपनाम - ॥ समास पांचवां - अनुमाननिरसननाम ॥
श्रीसमर्थ ने इस सम्पूर्ण ग्रंथ की रचना एवं शैली मुख्यत: श्रवण के ठोस नींव पर की है ।
Type: PAGE | Rank: 0.589808 | Lang: NA
-
हिन्दी पदे - अध्यात्मपर पदें
समर्थ रामदासांनी हिन्दी भाषेत रसाळ पदे लिहीली आहेत.
Type: PAGE | Rank: 0.589808 | Lang: NA
-
विवेकवैराग्यनाम - ॥ समास छठवां - सृष्टिक्रमनिरूपणनाम ॥
इस ग्रंथमें प्रत्येक छंद ‘मुख्य आत्मनुभूति से’ एवं सभी ग्रंथों की सम्मति लेकर लिखा है ।
Type: PAGE | Rank: 0.589808 | Lang: NA
-
सगुणपरीक्षा - ॥ समास छठवां - आध्यात्मिकताप निरूपणनाम ॥
श्रीमत्दासबोध के प्रत्येक छंद को श्रीसमर्थ ने श्रीमत्से लिखी है ।
Type: PAGE | Rank: 0.589808 | Lang: NA
-
मूर्खलक्षणनाम - अनुक्रमणिका
इस ग्रंथराज के गर्भ में अनेक आध्यात्मिक ग्रंथों के अंतर्गत सर्वांगीण निरूपण समाया हुआ है ।
Type: PAGE | Rank: 0.589808 | Lang: NA
-
प्रासंगिक कविता - प्रसंग ७
समर्थ रामदासांनी हिन्दी भाषेत रसाळ पदे लिहीली आहेत.
Type: PAGE | Rank: 0.589808 | Lang: NA
-
मंत्रों का नाम - ॥ समास पहला - गुरुनिश्चयनाम ॥
‘संसार-प्रपंच-परमार्थ’ का अचूक एवं यथार्थ मार्गदर्शन इस में है ।
Type: PAGE | Rank: 0.589808 | Lang: NA
-
दशक अठारहवां - बहुजिनसी
'ऐसी इसकी फलश्रुति' डॉ. श्री. नारायण विष्णु धर्माधिकारी कृत.
Type: INDEX | Rank: 0.589808 | Lang: NA
-
तत्त्वान्वय का - ॥ समास सातवां - महद्भूतनिरूपणनाम ॥
श्रीसमर्थ ने इस सम्पूर्ण ग्रंथ की रचना एवं शैली मुख्यत: श्रवण के ठोस नींव पर की है ।
Type: PAGE | Rank: 0.589808 | Lang: NA
-
देवशोधन नाम - ॥ समास दसवां - अनिर्वाच्यनाम ॥
श्रीसमर्थ ने ऐसा यह अद्वितीय-अमूल्य ग्रंथ लिखकर अखिल मानव जाति के लिये संदेश दिया है ।
Type: PAGE | Rank: 0.589808 | Lang: NA
-
मंत्रों का नाम - ॥ समास पांचवां - बहुधाज्ञाननाम ॥
‘संसार-प्रपंच-परमार्थ’ का अचूक एवं यथार्थ मार्गदर्शन इस में है ।
Type: PAGE | Rank: 0.589808 | Lang: NA
-
विवेकवैराग्यनाम - ॥ समास नववां- येत्नसिकवणनाम ॥
इस ग्रंथमें प्रत्येक छंद ‘मुख्य आत्मनुभूति से’ एवं सभी ग्रंथों की सम्मति लेकर लिखा है ।
Type: PAGE | Rank: 0.589808 | Lang: NA
-
गुणरूपनाम - ॥ समास तीसरा - निःसंगदेहनिरूपणनाम ॥
श्रीसमर्थ ने इस सम्पूर्ण ग्रंथ की रचना एवं शैली मुख्यत: श्रवण के ठोस नींव पर की है ।
Type: PAGE | Rank: 0.589808 | Lang: NA
-
प्रकृतिपुरुष का - ॥ समास पांचवां - अजपानिरूपणनाम ॥
यह ग्रंथ श्रवण करने का फल, मनुष्य के अंतरंग में आमूलाग्र परिवर्तन होता है, सहजगुण जाकर क्रिया पलट होता है ।
Type: PAGE | Rank: 0.589808 | Lang: NA
-
आत्मदशक - ॥ समास नववां - पिंडोत्पत्तिनिरूपणनाम ॥
देहप्रपंच यदि ठीकठाक हुआ तो ही संसार सुखमय होगा और परमअर्थ भी प्राप्त होगा ।
Type: PAGE | Rank: 0.589808 | Lang: NA
-
अखंडध्याननाम - ॥ समास चौथा - कीर्तनलक्षणनाम ॥
‘संसार-प्रपंच-परमार्थ’ का अचूक एवं यथार्थ मार्गदर्शन इस में है ।
Type: PAGE | Rank: 0.589808 | Lang: NA