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कैसे बैठ्यो रे आलसमें ...

विविध - कैसे बैठ्यो रे आलसमें ...

’विविध’ शीर्षकके द्वारा संतोंके अन्यान्य भावोंकी झलक दिखलानेवाली वाणीको प्रस्तुत किया है ।


कैसे बैठ्यो रे आलसमें, तो से राम कह्यो ना जाय ।

राम कह्यो ना जाय, तो पै कृष्ण कह्यो ना जाय ॥ १ ॥

भोर भयो मल-मल मुख धोयो, दिन चढ़ते ही उदर टटोयो;

बातन-बातन सब दिन खोयो, साँझ भई पलगाँ पर सोयो ।

सोवत-सोवत उमर बीत गई, काल शीरा मँडराय ॥ कैसे ॥ २॥

लख चौरासीमें भरमायो, बड़े भाग नर देह तू पायो;

अबकी चूक न जाना भाई, लुटने पावै नहीं कमाई ।

" राधेश्याम" समय फिर ऐसो , बार-बार नहिं आय ॥ कैसे ॥ ३ ॥

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Last Updated : January 22, 2014

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