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लेल्योजी लेल्योजी थे , ...

नाम महिमा - लेल्योजी लेल्योजी थे , ...

भगवन्नामकी महिमा अपरंपार है, नामोच्चारसे जीवनके पाप नष्ट हो जाते है ।


लेल्योजी लेल्योजी थे, लेल्यो हरि को नाम ॥

मैं व्योपारी राम-नाम का, प्रेमनगर है गाम ॥टेर॥

मैं प्रेमनगर से आया, हरि नाम का सौदा ल्याया ॥

च्यार खूँट में चली दलाली, आढ़त चारुँ धाम ॥१॥ मैं....

सोना-चाँदी कछु नहीं लेता, माल मोफत में ऐसे ही देता ।

नाम हरि अनमोल रतन है, कौड़ी लगे न दाम ॥२॥ मैं ....

बाट तराजू कछु नहीं भाई, मोलतोल उसका कछु नाहीं ।

करल्यो सौदा सत-संगत का, टोटे का नहीं काम ॥३॥ मैं ....

राम-नामका खुल्या खजान, कूद पड्या नर चतुर सुजान ।

सुगरा-सेन तुरत पहिचाने , नुगरे का नहीं काम ॥४॥ मैं ....

पाँचु की परतीत न कीजे, नाम हरि का निर्भय लीजे ।

मगन होय हरिके गुन गावो, भजल्यो सीताराम ॥५॥ मैं ....

सस्ता माल नफा है भारी, सहस्त्रगुनी देव साहूकारी ।

करल्यो सुरता राम भजन में, मिल जाय राधेश्याम ॥६॥ मैं....

नाम हरि अनमोल रतन है, सब धन से यह ऊँचा धन है ।

कह गिरधारीलाल और धन, मिथ्या जान तमाम ॥७॥ मैं ....

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Last Updated : January 22, 2014

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