कार्तिक कृष्णपक्ष व्रत - यम तर्पण

व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।


यम - तर्पण

( कृत्यतत्त्वार्णव ) - इसी दिन ( का० कृ० १४ को ) सायंकालके समय दक्षिण दिशाकी ओर मुँह करके जल, तिल और कुश लेकर देवतीर्थसे

' यमाय धर्मराजाय मृत्यवे अनन्ताय वैवस्वताय कालाय सर्वभूतक्षयाय औदुम्बराय दध्राय नीलाय परमेष्ठिने वृकोदराय चित्राय और चित्रगुप्ताय ।'

इनमेंसे प्रत्येक नामका ' नमः' सहित उच्चारण करके जल छोड़े । यज्ञोपवीतको कण्ठीकी तरह रखे और काले तथा सफेद दोनों प्रकारके तिलोंको काममें ले । कारण यह है कि यममें धर्मराजके रुपसे देवत्व और यमराजके रुपसे पितृत्व - ये दोनों अंश विद्यमान हैं ।

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Last Updated : January 22, 2009

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