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बृहत्—कर्मन् m. m. ‘doing mighty acts’,
N. of sev. kings, [Hariv.] ; [Pur.]
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बृहत्कर्मन् n. एक अनुवंशीय राजा, जो भागवत के अनुसार पृथुलाक्ष राजा का, एवं विष्णु, मत्स्य एवं वायु के अनुसार भद्ररथ राज का पुत्र था ।
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बृहत्कर्मन् II. n. (सो. पूरु.) एक पूरुवंशीय राजा, जो विष्णु के अनुसार बृहद्वसु का, एवं वायु के अनुसार महाबल का पुत्र था । इसे बृहत्काय नामान्तर भी प्राप्त है ।
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बृहत्कर्मन् III. n. (मगध. भविष्य.) एक राजा, जो ब्रह्मांड एवं विष्णु के अनुसार सुक्षत्र का वायु के अनुसार सुकृत का, एवं मत्स्य के अनुसार सुरक्ष का पुत्र था । भागवत में इसे बृहत्सेन कहा गया है। मत्स्य, वायु एवं ब्रह्मांड के अनुसार इसने २३ वर्षो तक राज्य किया ।
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