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गृह—पति m. m. (
°ह॑-) ([Pāṇ. 6-2, 18] ) the master of a house, householder, [RV. vi, 53, 2] ; [AV.] ; [ŚBr. iv, viii] ; [Kauś.] &c.
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गृहपति n. एक ऋषि । नर्मदा के किनारे नर्मपुर में विश्वानर नामक एक मुनि ब्रह्मचर्य से वेदाध्ययन कर के रहता था । गोत्र शांडिल्य । पत्नी का नाम शुचिष्मती । यह अत्यंत आचारशील था । इसे पुत्र न था । स्त्री की इच्छानुसान इसने काशी जा कर वीरेश्वर के पास कडी तपश्चर्या की । एक दिन इसे ईश्वर का प्रत्यक्ष दर्शन हुआ । अभिलाषष्टक कहने पर, ‘जल्द ही पुत्र होगा’, ऐसा वर इसे प्राप्त हुआ । बाद में इसे गृहपति नामक पुत्र हुआ । गृहपति से नवम वर्ष चालू था, नारद ने आ कर बताया कि इसे बारहवे मास में विद्युत् अथवा अग्नि से भय है । इसने तप कर के शंकर को प्रसन्न किया । शंकर ने इसे अग्नि यह उपाधि दी । इसके द्वारा काशी में स्थापित लिंग को अग्नीश्वर नाम है [शिव. शत. १५] ।
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°तिनाम्
N. of अग्नि, [RV.] ; [VS.] ; [AV.] ; [ŚBr. i, v] ; [MBh. iii, 14211; xii, 8883] (gen. pl. metrically for °तीनाम्)
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ग्रह-प्° for (
q.v. )
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