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dancing
Meanings: 2; in Dictionaries: 2
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opera
Meanings: 5; in Dictionaries: 5
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समाराधनम्
Meanings: 3; in Dictionaries: 1
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dance
Meanings: 12; in Dictionaries: 5
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चित्रकथा
Meanings: 4; in Dictionaries: 2
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drama
Meanings: 30; in Dictionaries: 7
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performance
Meanings: 53; in Dictionaries: 16
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नाट्यम्
Meanings: 21; in Dictionaries: 2
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नाट्यवर्गः - श्लोक ४०७ ते ४४०
अमरकोश में संज्ञा और उसके लिंगभेद का अनुशासन या शिक्षा है। अन्य संस्कृत कोशों की भांति अमरकोश भी छंदोबद्ध रचना है।
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खण्डः ३ - अध्यायः ०२०
विष्णुधर्मोत्तर पुराण एक उपपुराण आहे. अधिक माहितीसाठी प्रस्तावना पहा.
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चतुर्थः स्कन्धः - अथ पंचदशोऽध्यायः
’ श्रीमद्भागवतमहापुराणम्’ ग्रंथात ज्ञान, वैराग्य व भक्ति यांनी युक्त निवृत्तीमार्ग प्रतिपादन केलेला आहे, अशा या श्रीमद्भागवताचे भक्तिने श्रवण, पठन आणि निदिध्यासन करणारा मनुष्य खात्रीने वैकुंठलोकाला प्राप्त होतो.
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नाट्यशास्त्रम् - अथ प्रथमोऽध्यायः
भरत मुनींनी नाट्य शास्त्राची निर्मिती प्रत्यक्ष ब्रह्मदेवाच्या सांगण्यावरून केली असा समज आहे .
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खण्डः ३ - अध्यायः ०२९
विष्णुधर्मोत्तर पुराण एक उपपुराण आहे. अधिक माहितीसाठी प्रस्तावना पहा.
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श्रीनरसिंहपुराण - अध्याय ३४
अन्य पुराणोंकी तरह श्रीनरसिंहपुराण भी भगवान् श्रीवेदव्यासरचित ही माना जाता है ।
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उत्तरखण्डः - अध्यायः ३
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
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खण्डः ३ - अध्यायः ०२८
विष्णुधर्मोत्तर पुराण एक उपपुराण आहे. अधिक माहितीसाठी प्रस्तावना पहा.
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विश्वजितखण्डः - अध्यायः ४३
गर्ग संहिता ही गर्ग मुनिंची रचना आहे. ह्या संहितेत श्रीकृष्ण आणि राधाच्या माधुर्य-भाव असलेल्या लीलांचे वर्णन आहे.
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त्रेतायुगसन्तानः - अध्यायः ३५
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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नाट्यशास्त्रम् - अथ अष्टमोऽध्यायः
भरत मुनींनी नाट्य शास्त्राची निर्मिती प्रत्यक्ष ब्रह्मदेवाच्या सांगण्यावरून केली असा समज आहे .
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त्रेतायुगसन्तानः - अध्यायः १६८
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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अंशुमत्काश्यपागमः - मानादिसूत्रलक्षणपटलः
वास्तुशास्त्रावरील एक असामान्य ग्रंथ..
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अध्याय ३६० - स्वर्गपातालादिवर्गाः
अग्निपुराणात त्रिदेव – ब्रह्मा, विष्णु, महेश आणि सूर्य ह्या देवतांसंबंधी पूजा-उपासनाचे वर्णन केलेले आहे.
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रुचि
Meanings: 73; in Dictionaries: 14
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त्रेतायुगसन्तानः - अध्यायः २९९
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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त्रेतायुगसन्तानः - अध्यायः २०८
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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नाट्यशास्त्रम् - अथ षष्ठोऽध्यायः
भरत मुनींनी नाट्य शास्त्राची निर्मिती प्रत्यक्ष ब्रह्मदेवाच्या सांगण्यावरून केली असा समज आहे .
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नाट्यशास्त्रम् - अथ द्वितीयोऽध्यायः
भरत मुनींनी नाट्य शास्त्राची निर्मिती प्रत्यक्ष ब्रह्मदेवाच्या सांगण्यावरून केली असा समज आहे .
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तिष्यसन्तानः - अध्यायः ४४
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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शृङ्गारतिलक - प्रथमः परिच्छेदः
संस्कृत भाषेतील काव्य, महाकाव्य म्हणजे साहित्य विश्वातील मैलाचा दगड होय, काय आनंद मिळतो त्याचा रसास्वाद घेताना, स्वर्गसुखच. शृङ्गारतिलक काव्याचे कवी आहेत,रुद्रभट्ट.
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पुरुषोत्तमसंहिता - चतुर्विंशोध्यायः
पुरुषोत्तम
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श्रीशक्तिसङ्ग्मतन्त्रम् - त्रयोदशः पटलः ।
तंत्र शास्त्र भारताची एक प्राचीन विद्या आहे. तंत्र ग्रंथ भगवान शिवाच्या मुखातून प्रकट झाले आहेत. त्यांना पवित्र आणि प्रामाणिक मानले आहेत. Tantra shastra is a secret and most powerful science of the Indian culture and religion. It is a most powerful science which Indian Rushis have practised for centuries and still it is in practise.
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नाट्यशास्त्रम् - अथ चतुर्थोऽध्यायः
भरत मुनींनी नाट्य शास्त्राची निर्मिती प्रत्यक्ष ब्रह्मदेवाच्या सांगण्यावरून केली असा समज आहे.
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रत्नावली - चतुर्थोङ्कः
‘ रत्नावली’ नाटकात हर्षाने प्राकृत भाषांपैकी शौरसेनीचा मुख्यत्वेंकरून उपयोग केला आहे.
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साहित्य दर्पण - षष्ठः परिच्छेदः
साहित्य दर्पण संस्कृत भाषा में साहित्य-विषयक महान ग्रन्थ है। इसके रचयिता विश्वनाथ हैं। साहित्य दर्पण के रचयिता का समय 14वीं शताब्दी ठहराया जाता है।
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