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superficies
Meanings: 5; in Dictionaries: 2
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plinth
Meanings: 6; in Dictionaries: 6
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fundament
Meanings: 4; in Dictionaries: 3
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bottom
Meanings: 19; in Dictionaries: 8
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sole
Meanings: 17; in Dictionaries: 10
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fathom
Meanings: 11; in Dictionaries: 7
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surface
Meanings: 21; in Dictionaries: 13
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pedestal
Meanings: 15; in Dictionaries: 8
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basis
Meanings: 18; in Dictionaries: 11
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slap
Meanings: 8; in Dictionaries: 4
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floor
Meanings: 17; in Dictionaries: 7
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globe
Meanings: 19; in Dictionaries: 8
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तलम्
Meanings: 6; in Dictionaries: 1
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अंशुमत्काश्यपागमः - कूटकोष्ठादिलक्षणपटलः
वास्तुशास्त्रावरील एक असामान्य ग्रंथ..
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footing
Meanings: 14; in Dictionaries: 5
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ब्रह्मपुराणम् - अध्यायः १५६
ब्रह्मपुराणास आदिपुराण म्हणतात. यात सृष्टीची उत्पती, पृथुचे पावन चरित्र, सूर्य आणि चन्द्रवंशाचे वर्णन, श्रीकृष्ण-चरित्र, कल्पान्तजीवी मार्कण्डेय मुनि चरित्र, तीर्थांचे माहात्म्य अशा अनेक भक्तिपुरक आख्यानांची सुन्दर चर्चा केलेली आहे.
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पृष्ठभूमिः
Meanings: 6; in Dictionaries: 1
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मानसारम् - पञ्चतलविधानम्
प्रस्तुत ग्रंथ शके १८३६ यावर्षी कै. गुरूभक्त व्यंकटरमणा मच्छावार यांनी प्रसिद्ध केला होता.
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मज्जवहस्त्रोतस - विश्वाचि
धर्म, अर्थ, काम आणि मोक्ष या चतुर्विध पुरूषार्थांच्या प्राप्तीकरितां आरोग्य हे अत्यंत आवश्यक असते.
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ब्रह्मपुराणम् - अध्यायः ७९
ब्रह्मपुराणास आदिपुराण म्हणतात. यात सृष्टीची उत्पती, पृथुचे पावन चरित्र, सूर्य आणि चन्द्रवंशाचे वर्णन, श्रीकृष्ण-चरित्र, कल्पान्तजीवी मार्कण्डेय मुनि चरित्र, तीर्थांचे माहात्म्य अशा अनेक भक्तिपुरक आख्यानांची सुन्दर चर्चा केलेली आहे.
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story
Meanings: 30; in Dictionaries: 7
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मानसारम् - भक्तलक्षणम्
प्रस्तुत ग्रंथ शके १८३६ यावर्षी कै. गुरूभक्त व्यंकटरमणा मच्छावार यांनी प्रसिद्ध केला होता.
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मानसारम् - मध्यमदशतालविधानम्
प्रस्तुत ग्रंथ शके १८३६ यावर्षी कै. गुरूभक्त व्यंकटरमणा मच्छावार यांनी प्रसिद्ध केला होता.
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guard
Meanings: 35; in Dictionaries: 12
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face
Meanings: 58; in Dictionaries: 19
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foot
Meanings: 39; in Dictionaries: 14
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base
Meanings: 81; in Dictionaries: 22
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ब्रह्मपुराणम् - अध्यायः ११५
ब्रह्मपुराणास आदिपुराण म्हणतात. यात सृष्टीची उत्पती, पृथुचे पावन चरित्र, सूर्य आणि चन्द्रवंशाचे वर्णन, श्रीकृष्ण-चरित्र, कल्पान्तजीवी मार्कण्डेय मुनि चरित्र, तीर्थांचे माहात्म्य अशा अनेक भक्तिपुरक आख्यानांची सुन्दर चर्चा केलेली आहे.
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पूर्वभागः - अध्यायः ४५
अठरा पुराणांमध्ये भगवान् शंकराची महान महिमा लिंगपुराणात वर्णिलेली आहे. यात ११००० श्लोक आहेत. प्रथम योग आणि नंतर कल्प असे विवेचन गुरू वेदव्यास यांनी या पुराणात सांगितले आहे. हा शिव पुराणाच पूरक ग्रंथ आहे.
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नानार्थवर्गः - श्लोक ७५१ ते ७८१
अमरकोश में संज्ञा और उसके लिंगभेद का अनुशासन या शिक्षा है। अन्य संस्कृत कोशों की भांति अमरकोश भी छंदोबद्ध रचना है।
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ब्रह्मपुराणम् - अध्यायः ७६
ब्रह्मपुराणास आदिपुराण म्हणतात. यात सृष्टीची उत्पती, पृथुचे पावन चरित्र, सूर्य आणि चन्द्रवंशाचे वर्णन, श्रीकृष्ण-चरित्र, कल्पान्तजीवी मार्कण्डेय मुनि चरित्र, तीर्थांचे माहात्म्य अशा अनेक भक्तिपुरक आख्यानांची सुन्दर चर्चा केलेली आहे.
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मानसारम् - संग्रहः
'मानसारम्' वास्तुशास्त्रावरील एक प्राचीन ग्रंथ आहे.
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hell
Meanings: 8; in Dictionaries: 3
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plane
Meanings: 63; in Dictionaries: 19
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खण्डः ३ - अध्यायः ०१३
विष्णुधर्मोत्तर पुराण एक उपपुराण आहे. अधिक माहितीसाठी प्रस्तावना पहा.
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पात्रम्
Meanings: 31; in Dictionaries: 2
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चयविधिर्नामैकचत्वारिंशोऽध्यायः
समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी।
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पूर्वभागः - चतुश्चत्वारिंशत्तमोऽध्यायः
पुराण म्हणजे भारतीय संस्कृतीचा अमूल्य ठेवा आहे. महापुराणांच्या क्रमवारीत कूर्मपुराण पंधराव्या स्थानावर आहे.
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अंशुमत्काश्यपागमः - स्तंभलक्षणपटलः
वास्तुशास्त्रावरील एक असामान्य ग्रंथ..
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मथुराखण्डः - अध्यायः ०२
गर्ग संहिता ही गर्ग मुनिंची रचना आहे. ह्या संहितेत श्रीकृष्ण आणि राधाच्या माधुर्य-भाव असलेल्या लीलांचे वर्णन आहे.
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अंशुमत्काश्यपागमः - नागरादिविधिपटलः
वास्तुशास्त्रावरील एक असामान्य ग्रंथ..
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भविष्यपर्व - पञ्चदशाधिकशततमोऽध्यायः
महर्षी व्यासांनी रचलेला हा महाभारताचा पुरवणी ग्रंथ आहे.
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उच्चावचप्रवाहवीचयः - सुभाषित २३०१ - २३२०
सुभाषित म्हणजे आदर्श वचन. सुभाषित गद्य किंवा पद्यात असतात. Subhashita means good speech.
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उमासंहिता - अध्यायः १५
शिव पुराणात भगवान शिवांच्या विविध रूपांचे, अवतारांचे, ज्योतिर्लिंगांचे, शिव भक्तांचे आणि भक्तिचे विस्तृत वर्णन केलेले आहे.
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ऋज्वागतादिस्थानलक्षणं नामैकोनाशीतितमोऽध्यायः - १ ते ५०
समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी।
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पुरनिवेशो दशमोऽध्यायः - १ ते ५०
समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी।
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कीलकसूत्रपातो नाम सप्तत्रिंशोऽध्यायः - १ ते ५०
समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी।
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अंशुमत्काश्यपागमः - उमास्कन्दसहितलक्षणपटलः
वास्तुशास्त्रावरील एक असामान्य ग्रंथ.
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level
Meanings: 86; in Dictionaries: 20
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः ५३९
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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