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चेटी भवन्निखिल केटी कदम्ब...

देवी प्रणव श्लोकी - चेटी भवन्निखिल केटी कदम्ब...


देवी आदिशक्ती माया आहे. तिची अनेक रूपे आहेत. जसे ती जगत्‌कल्याण्कारी तसेच दुष्टांचा संहार.करणारीही आहे.
The concept of Supreme mother Goddess is very old in India. The divine mother has been worshipped as 'Shakti' since vedic times.


चेटी भवन्निखिल केटी कदम्ब वनवाटीषु नाकपटली कोटीर चारुतर कोटीमणी किरण कोटीकरंजित पदा पाटीर गन्धि कुच शाठी कवित्व परिपाटीमगाधिपसुताम् घोटीकुलादधिक धाटी मुदारमुख वीटीर सेनतनुताम् ॥१॥
द्वैपायन प्रभृति शापायुध त्रिदव सोपान धूळि चरणा पापाप ह्रस्व मनु जापानुलीन जन तापाप नोद निपुणा नीपालया सुरभि धूपालका दुरित कूपादुदन्चयतुमाम् रूपाधिका शिखरि भूपाल वंशमणि दीपायिता भगवती ॥२॥
याळी भिरात्त तनुराळी लसत्प्रिय कपाळीषु खेलति भवा चूलीनकुल्य सित चूळी भराचरण धूळी लसन्मुणिगणा याळी भृतिस्रवसिताळी दळम् वहति याळीकशोभि तिलका साळी करोतु मम काळी मनः स्वपदनालीकसेवन विधौ ॥३॥
बालामृतांशु निभ फालामना गरुण चेलानितम्बफलके कोलाहलक्षपित कालामराकुशल कीलाल शोषण रविः स्थुलाकुचे जलद नीलाकचे कलित लीलाकदम्ब विपिने सूलायुध प्रणुति शैला विधात्रृ हृदि शैलाधिराज तनया ॥४॥
कम्बावती वस विडम्बागणेन नव तुम्बांग वीण सविधा बिम्बाधराविनत शम्भायुधादि निकुरुम्बा कदम्बविपिने अम्बाकुरंग मद जम्बाळरोचि रहलम्बाळका दिशतु मे शम्भाहुळेय शशिबिम्बाभिराममुखि सम्भाधितस्तनभरा ॥५॥
न्यंकाकरेवपुषि कंकाळरक्तपुषि कंकादि पक्षि विषये त्वंकामनामयसि किंकारणं हृदय पंकारिमेहि गिरिजाम् शन्काशिलानिशित तंकायमान पद संकासमान सुमनो झंकारि भृंगतति मंकानुपेत शशि संकासवक्त्र कमलाम् ॥६॥
दासायमान सुम हासा कदम्बवन वासाकुसुम्बसुमनो वासाविपंचि कृत रासाविधूय मधुमासारविन्द मधुरा कासारसूनतति भाषाभिराम तनुरासार शीत करुणा नासमणि प्रवर वासा शिवातिमिर मासादयेतु परतिम् ॥७॥
झम्भारि कुम्भि पृथु कुम्भापहासि कुच सम्भाव्य हार लतिका रम्भाकरीन्द्र कर डिम्भापहोरु गति दिम्बानुरन्जित पदा शम्भावुदार परिकुम्भांकुरत्पुळक डम्भानुरागपिसुना कम्भासुराभरण गुम्भासदादिशतु शम्भासुरप्रहरणा ॥८॥
दाक्षायनी दनुज शिक्षा विधौ वितत दीक्षा मनोहरगुणा भिक्षाळिनोनटन वीक्षा विनोदमुखि दक्षाध्वरप्रहरणा वीक्षाम् विदेहि मयि दक्षा स्वकीय जन पक्षाविपक्ष विमुखी यक्षेश सेवित निराक्षेप शक्ति जयलक्ष्म्यावदानकलना ॥९॥
वन्दारु लोकवर सन्धायनी विमल कुन्दावदातरदना बृन्दारबृन्दमणि बृन्दारविन्द मकरन्दाभिषिक्त चरणा मन्दानिलाकलित मन्दारदामभिर मन्दारदाम मकुटा मन्दाकिनी जवनबिन्दानवाजमरविन्दासना दिशतु मे ॥१०॥

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Last Updated : July 12, 2016

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