हिंदी सूची|हिंदी साहित्य|गीत और कविता|सुमित्रानंदन पंत|ग्राम्या|
विनय

सुमित्रानंदन पंत - विनय

ग्रामीण लोगोंके प्रति बौद्धिक सहानुभूती से ओतप्रोत कविताये इस संग्रह मे लिखी गयी है। ग्रामों की वर्तमान दशा प्रतिक्रियात्मक साहित्य को जन्म देती है।


विज्ञान ज्ञान बहु सुलभ, सुलभ बहु नीति धर्म,

संकल्प कर सके जन, इच्छा अनुरूप कर्म ।

उपचेतन मन पर विजय पा सके चेतन मन,

मानव को दो यह शक्ति पूर्ण जग के कारण !

मनूजों की लघु चेतना मिटे, लघु अहंकार,

नव युग के गुण से विगत गुणों का अंधकार ।

हो शांत जाति विद्वेष, वर्ग गत रक्त समर,

हो शांत युगों के प्रेत, मुक्त मानव अंतर ।

संस्कृत हो सब जन, स्नेही हो, सह्रदय सुंदर,

संयुक्त कर्म पर हो संयुक्त विश्व निर्भर ।

राष्ट्रों से राष्ट्र मिले, देशों से देश आज,

मानव से मानव, हो जीवन निर्माण काज ।

हो धरणि जनों की, जगत स्वर्ग - जीवन का घर,

नव मानव को दो प्रभु ! भव मानवता का वर !

N/A

References :

कवी - श्री सुमित्रानंदन पंत

फरवरी' ४०

Last Updated : October 11, 2012

Comments | अभिप्राय

Comments written here will be public after appropriate moderation.
Like us on Facebook to send us a private message.
TOP