भजन - आजु री , नन्दलला निकस्यो ...

हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्‌को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।


आजु री, नन्दलला निकस्यो, तुलसी-बनतैं बनकैं मुसकातो ।

देखे बनै न बनै कहते अब, सो सुख जो मुखमें न समातो ॥

हौं रसखानि, बिलोकिबेकों कुल कानिको काज कियो हिय हातो ।

आय गई अलबेली अचानक, ए भटु लाजकौ काज कहा तो ? ॥

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Last Updated : December 25, 2007

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