मंगलवार की आरती

आरतीमे उस उपास्य देवताकी स्तुती की जाती है, जिसकी पूजा या व्रत किया जाता है ।


मंगलवार की आरती

मंगल मूरति जय जय हनुमंता, मंगल-मंगल देव अनंता ।

हाथ व्रज और ध्वजा विराजे, कांधे मूंज जनेऊ साजे ।

शंकर सुवन केसरी नंदन, तेज प्रताप महा जगवंदन ।

लाल लंगोट लाल दोऊ नयना, पर्वत सम फारत है सेना ।

काल अकाल जुद्ध किलकारी, देश उजारत क्रुद्ध अपारी ।

रामदूत अतुलित बलधामा, अंजनि पुत्र पवनसुत नामा ।

महावीर विक्रम बजरंगी, कुमति निवार सुमति के संगी ।

भूमि पुत्र कंचन बरसावे, राजपाट पुर देश दिवावे ।

शत्रुन काट-काट महिं डारे, बंधन व्याधि विपत्ति निवारे ।

आपन तेज सम्हारो आपै, तीनों लोक हांक ते कांपै ।

सब सुख लहैं तुम्हारी शरणा, तुम रक्षक काहू को डरना ।

तुम्हरे भजन सकल संसारा, दया करो सुख दृष्टि अपारा ।

रामदण्ड कालहु को दण्डा, तुम्हरे परसि होत जब खण्डा ।

पवन पुत्र धरती के पूता, दोऊ मिल काज करो अवधूता ।

हर प्राणी शरणागत आए, चरण कमल में शीश नवाए ।

रोग शोक बहु विपत्ति घराने, दुख दरिद्र बंधन प्रकटाने ।

तुम तज और न मेटनहारा, दोऊ तुम हो महावीर अपारा ।

दारिद्र दहन ऋण त्रासा, करो रोग दुख स्वप्न विनाशा ।

शत्रुन करो चरन के चेरे, तुम स्वामी हम सेवक तेरे ।

विपति हरन मंगल देवा, अंगीकार करो यह सेवा ।

मुद्रित भक्त विनती यह मोरी, देऊ महाधन लाख करोरी ।

श्रीमंगलजी की आरती हनुमत सहितासु गाई ।

होई मनोरथ सिद्ध जब अंत विष्णुपुर जाई ।

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Last Updated : January 11, 2008

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