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भांड - हुवा भांड माया छांड एक सं...

भारुड - भांड - हुवा भांड माया छांड एक सं...

भारुड Bharude is a kind of satirical form of presenting the faults of lay human beings. It was started by Eknath who is revered as a saint.

हुवा भांड माया छांड एक संग पकडा । जोरू लडके मायबाप सबकू बस करा ॥ १ ॥

सबसे हुवा न्यारा मुजे एक लगा प्यारा ॥ ध्र० ॥

खावे चिदबुंदकी भंग मैं तो मगन हुवा दंग । छटक फटक टाळी बाजे मुमें बाजे चंग ॥ २ ॥

उपतरले अंदर भीतर सज्जन भरा पुरा ॥ ३ ॥

चौक म्याने आन खडे देखत है रहा । बडे बडे बेफाम घरोघर यारा ॥ ४ ॥

बेद नीती सब कोई जान जाने किताब पुरा । मा बेटीकी सुद नहीं एक सीर मारा ॥ ५ ॥

हाम जपी हाम तपी चारो देश फिरा । जमुनामें लटापटी व्यास नाम धरा ॥ ६ ॥

बिसरा राम भरा काम मागन लगा औरत । दौडो यार किया जोर लरकी नरकी घेरा ॥ ७ ॥

बडे हट्टी अंगपर छाटी एक पग खडा । देख माया खुसाखुसी डालन लागा घेरा ॥ ८ ॥

आप चल मकानकु बिसारत करेकु । भरी मजलस हासाहासी उतार दिया कुरा ॥ ९ ॥

आप करते तप करते वोबी भूल पडा । इतर जनकी क्या बिशाद छेजनकु मारा ॥ १० ॥

आगे आगे देख करनी संग हुवा एका । जनार्दनकी मेहर हुवी माथो कर धरा ॥ ११ ॥

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Last Updated : November 10, 2013

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