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नानक - आलख निरंजन नानक आया । नेक...

भारुड - नानक - आलख निरंजन नानक आया । नेक...

भारुड Bharude is a kind of satirical form of presenting the faults of lay human beings. It was started by Eknath who is revered as a saint.

आलख निरंजन नानक आया । नेकी करना अच्छा है ॥ १ ॥

फेक पैसा फेक यारो । फेक पैसा फेक ॥ध्रु०॥

माया झोली निरगुण सैली । नाममाला जपता है ॥ २ ॥

समकी टोपी दमकी कफनी । त्रिगुन बभूत चढाई है ॥ ३ ॥

जीव शीव दोनो कुंडल पेर्‍हे । अनुहत टिपरी बजावत है ॥ ४ ॥

कामक्रोधकी गर्दन मारी । बोध खंडा झळकत है ॥ ५ ॥

प्रेम कटारी लियी हातमो । लवंडी माया डरती है ॥ ६ ॥

वैराग्य भाला पडे उजाला । संसारमो नो फत्तर है ॥ ७ ॥

तो भवनमां सौदा बेचे । आशा मनशा धरता है ॥ ८ ॥

फेर चौर्‍यांयशी आयी यारो । मूपर जूता खाता है ॥ ९ ॥

चारो बरनमो ब्रह्मण बडा । घर घर कथा करता है ॥ १० ॥

नाम बेचकर दाम लेते । उसकी करनी हराम है ॥ ११ ॥

फकीर होकर फिकीर करिता । उसका मूं काला है ॥ १२ ॥

नाथपंथकी मुद्रा डाली । जगमें सिंगी बजावत है ॥ १३ ॥

सिंगी नादकूं औरत भूला । वाबी लंवडा झूठा है ॥ १४ ॥

संन्यास लिया आशा बाड्या । मीठा खाना मंगता है ॥ १५ ॥

भुल गया अल्लाका नाम यारो । ज्यमक सोटा बजाता है ॥ १६ ॥

शेटे सावकार माल खजीना । उनमें मगन रेहेता है ॥ १७ ॥

जोरू लडके कोई नहीं साती । आखर मुमें मट्टी है ॥ १८ ॥

मानभाव बनेके काला पैने । छानकर पानी पीता है ॥ १९ ॥

आत्म ध्यानकू चोर लूटत है । वो बी सच्चा गद्धा है ॥ २० ॥

शंख बजावत जंगम आया । घर घर लेकर फिरता है ॥ २१ ॥

पेटखातर शिवकू बेचे । वोबी लवंडा कुत्ता है ॥ २२ ॥

गोसावी बडा भगवा आवे । जटा बढकर रहेता है ॥ २३ ॥

साहा चोरकू जगा देकर । उसमें फंदमें फिरता है ॥ २४ ॥

साहा फेंकेसो सादु बनेगा । नहीं तो यारी गव्हार है ॥ २५ ॥

फेक आशा फेक मनशा । निंदा फेके सो जोगी है ॥ २६ ॥

परधन फेक दुजी औरत फेक । न फेकेसो चांडाल है ॥ २७ ॥

दंभमान फेक मीपन फेक । न फेकेसी नकटा आधा है ॥ २८ ॥

साही शास्त्र अठरा पुराण । चारो बेद पढता है ॥ २९ ॥

माबाप तो कासी तीरथ । उसकूं तेडा बोलत है ॥ ३० ॥

साधुसंत घरकु आये । उसकूं तेडा बोलत है ॥ ३१ ॥

दीवाना उनका बाप यारो । हात जोडकर रहेता है ॥ ३२ ॥

नाम अल्लाका कथा सुन्नेकी । उव्हां मुरगीका सोता है ॥ ३३ ॥

कामका कुत्ता कसबीन घरमे । सारी रातदीन जागत है ॥ ३४ ॥

इस दुनियामें आया बंदे । अल्ला नामका सौदा है ॥ ३५ ॥

एक दिन आना एक दिन जाना । दो दिनका सब बजार है ॥ ३६ ॥

इस नगरीमें सेटे सावकार । बडे मतलबी रहेते हैं ॥ ३७ ॥

नामकी जोडी करले यारो । चौर्‍यांयशी बेडी तुटती है ॥ ३८ ॥

तेरे नगरीमें नानक आया । पैसा टक्का कूच मंगता नहीं है ॥ ३९ ॥

भक्ती रोटी भावका सालन । देना मेरेकू सच्चा है ॥ ४० ॥

एका जनार्दनीं शाही हमारा । नानक उनका बंदा है ॥ ४१ ॥

मोक्श निशानी लियी हातमो । वैकुंठधाम पढता है ॥ ४२ ॥

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Last Updated : November 10, 2013

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