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प्रतिभटश्रेणिभीषण वरगुणस्...

श्री सुदर्शनाष्टकम् - प्रतिभटश्रेणिभीषण वरगुणस्...

देवी देवतांची अष्टके आजारपण किंवा कांही घरगुती त्रास होत असल्यास घरीच देवासमोर म्हणण्याची ईश्वराची स्तुती  होय.
Traditionally,the ashtakam is recited in homes, when some one has health or any domestic problems.


प्रतिभटश्रेणिभीषण वरगुणस्तॊम भूषण
जनिभय स्थानतारण जगदवस्थानकारण ।
निखिलदुष्कर्मकर्शन निगमसद्धर्मदर्शन
जय जय श्रीसुदर्शन जय जय श्रीसुदर्शन ॥१॥

शुभजगद्रूपमण्डन सुरगणत्रासखण्डन
शतमख ब्रह्मवन्दित शतपथब्रह्मनन्दित ।
प्रथित विद्वत्-सपक्षित भवदहिर्बुध्न्यलक्षित
जय जय श्रीसुदर्शन जय जय श्रीसुदर्शन ॥२॥

स्फुटतटिज्जालपिञ्जर पृथुतरज्वालपञ्जर
परिगतप्रत्नविग्रह परिमितप्रज्ञदुर्ग्रह ।
प्रहरण ग्राममण्डित परिजनत्राण पण्डित
जय जय श्रीसुदर्शन जय जय श्रीसुदर्शन ॥३॥

निजपदप्रोत सद्गण निरुपधि स्फीत षड्गुण
निगमनिर्व्यूढवैभव निजपरव्यूहवैभव ।
हरिहयद्वेषि दारण हरपुरप्लॊषकारण
जय जय श्रीसुदर्शन जय जय श्रीसुदर्शन ॥४॥

दनुजविस्तार कर्तन जनितमिस्राविकर्तन
दनुजविद्या निकर्तन भजदविद्या निवर्तन ।
अमरहृष्टस्वविक्रम समरजुष्टभ्रमिक्रम
जय जय श्रीसुदर्शन जय जय श्रीसुदर्शन ॥५॥

प्रतिमुखालीढबन्धुर पृथुमहाहेतिदन्तुर
विकटमायाबहिष्कृत विविधमाला परिष्कृत ।
पृथुमहायन्त्र तन्त्रित दृढदयातन्त्रयन्त्रित
जय जय श्रीसुदर्शन जय जय श्रीसुदर्शन ॥६॥

महित संपत्-सदक्षर विहित संपत्-षडक्षर
षडारचक्रप्रतिष्ठित सकलतत्वप्रतिष्ठित ।
विविधसङ्कल्पकल्पक विबुधसङ्कल्पकल्पक
जय जय श्रीसुदर्शन जय जय श्रीसुदर्शन ॥७॥

भुवननेतस्त्रयीमय सवन तेजस्त्रयीमय
निरवधिस्वादुचिन्मय निखिलशक्ते जगन्मय ।
अमित विश्वक्रियामय शमित विष्वग्-भयामय
जय जय श्रीसुदर्शन जय जय श्रीसुदर्शन ॥८॥

द्विचतुष्कमिदं प्रभूतसारं पठतां वेङ्कटनायकप्रणीतम् ।
विषमेऽपि मनोरथः प्रधावन् न विहन्येत रथाङ्गधुर्यगुप्तः ॥९॥

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Last Updated : December 31, 2018

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