संस्कृत सूची|शास्त्रः|ज्योतिष शास्त्रः|बृहत्पाराशरहोराशास्त्रम्| अध्याय ६७ बृहत्पाराशरहोराशास्त्रम् अध्याय १ अध्याय २ अध्याय ३ अध्याय ४ अध्याय ५ अध्याय ६ अध्याय ७ अध्याय ८ अध्याय ९ अध्याय १० अध्याय ११ अध्याय १२ अध्याय १३ अध्याय १४ अध्याय १५ अध्याय १६ अध्याय १७ अध्याय १८ अध्याय १९ अध्याय २० अध्याय २१ अध्याय २२ अध्याय २३ अध्याय २४ अध्याय २५ अध्याय २६ अध्याय २७ अध्याय २८ अध्याय २९ अध्याय ३० अध्याय ३१ अध्याय ३२ अध्याय ३३ अध्याय ३४ अध्याय ३५ अध्याय ३६ अध्याय ३७ अध्याय ३८ अध्याय ३९ अध्याय ४० अध्याय ४१ अध्याय ४२ अध्याय ४३ अध्याय ४४ अध्याय ४५ अध्याय ४६ अध्याय ४७ अध्याय ४८ अध्याय ४९ अध्याय ५० अध्याय ५१ अध्याय ५२ अध्याय ५३ अध्याय ५४ अध्याय ५५ अध्याय ५६ अध्याय ५७ अध्याय ५८ अध्याय ५९ अध्याय ६० अध्याय ६१ अध्याय ६२ अध्याय ६३ अध्याय ६४ अध्याय ६५ अध्याय ६६ अध्याय ६७ अध्याय ६८ अध्याय ६९ अध्याय ७० अध्याय ७१ अध्याय ७२ अध्याय ७३ अध्याय ७४ अध्याय ७५ अध्याय ७६ अध्याय ७७ अध्याय ७८ अध्याय ७९ अध्याय ८० अध्याय ८१ अध्याय ८२ अध्याय ८३ अध्याय ८४ अध्याय ८५ अध्याय ८६ अध्याय ८७ अध्याय ८८ अध्याय ८९ अध्याय ९० अध्याय ९१ अध्याय ९२ अध्याय ९३ अध्याय ९४ अध्याय ९५ अध्याय ९६ अध्याय ९७ बृहत्पाराशरहोराशास्त्रम् - अध्याय ६७ `बृहत्पाराशरहोराशास्त्रम्` हा ग्रंथ म्हणजे ज्योतिष शास्त्रातील मैलाचा दगड होय. Tags : astrologyjyotishaparasharज्योतिषपाराशरहोराशास्त्र त्रिकोणशोधनाध्यायः Translation - भाषांतर एवं सलग्नखेटानां विधायाष्टकवर्गकम् ।त्रिकोणशोधनं कुर्यादादौ सर्वंषु राशिषु ॥१॥त्रिकोणं कथ्यते विप्र मेषसिंहधनूंष्यथ ।वृषकन्यामृगस्याश्च युग्मतौलिघटास्तथा ॥२॥कर्कवृश्चिकमीनाश्च त्रिकोणाः स्युः परस्परम् ।अधोऽधः सर्वराशीनामष्टवर्गफलं न्यसेत् ॥३॥त्रिकोणेषु च यन्न्यूनं तत्तुल्यं त्रिषु शोधयेत् ।एकस्मिन् भवने शून्यं तत् त्रिकोणं न शोधयेत् ॥४॥समत्वे सर्वगेहेषु सर्वं संशोधयेद् बुधः ।पश्चात् विपश्चिता कार्यमेकाधिपतिशोधनम् ॥५॥ N/A References : N/A Last Updated : July 26, 2011 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP